rashtrabhasha.org Open in urlscan Pro
148.66.128.191  Public Scan

URL: http://rashtrabhasha.org/
Submission: On March 28 via manual from US — Scanned from SG

Form analysis 1 forms found in the DOM

https://rashtrabhasha.org/category

<form class="s" action="https://rashtrabhasha.org/category">
  <input type="search" class="sb" name="q" autocomplete="off" placeholder="What would you like to search for?">
  <button type="submit" class="sbtn fa fa-search"></button>
</form>

Text Content

राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा

   
   
 * Hello
 * Logout


Toggle navigation
 * मुख्य पृष्ठ
 * स्वागतम
 * राष्ट्रभाषा विभागं
   * राष्ट्रभाषा महाविद्यालय
   * अतिथि भवन
   * राष्ट्रभाषा सभा भवन
   * पुस्तक विक्री
   * राष्ट्रभाषा पुस्तकालय
   * राष्ट्रभाषा प्रेस
 * सूचना पट्ट
   * समाचार/गतिविधियां
   * परिपत्र/कार्यालयादेश
   * सूचना अधिसूचना
 * सांविधिक निकाय
 * पदाधिकारी
 * समिति के बारे में
   * प्रान्तीय समितियाँ
   * राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा : एक विहंगावलोकन
 * परीक्षा फॉर्
 * पाठ्यक्रम
 * अध्ययन केंद्
 * ऑनलाइन पुस्तक बिक्री
   * अतिरिक्त पुस्तके
   * उच्च स्तर
   * सामान्य स्तर
   * पाठ्य ग्रन्थ
   * राष्ट्रभाषा रत्न परीक्षा
   * राष्ट्रभाषा आचार्य
   * नेहरु-गाँधी परिचय परीक्षा
   * राष्ट्रभाषा कोविद परीक्षा
   * राष्ट्रभाषा परिचय परीक्षा
   * राष्ट्रभाषा प्रवेश परीक्षा
   * राष्ट्रभाषा प्रारम्भिक परीक्षा
   * राष्ट्रभाषा प्राथमिक परीक्षा
   * शुद्ध सुलेखन परिचय परीक्षा
   * पुस्तक विभाग
 * संपर्क

Toggle search


प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।
       प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।
       
×


LOGIN

--------------------------------------------------------------------------------

×


Sign Up for Newsletter Forgot Password
 Login


NEW CUSTOMER SIGNUP!

--------------------------------------------------------------------------------

×
×





 Create an Account

 1. 
 2. 
 3. 
 4. 

“ हम अपनी जनता के पूर्ण उपासक होंगे, हमारा दृढ विश्वास होगा कि विशेष मनुष्य या
विशेष समूह नहीं बल्कि प्रत्येक मनुष्य और समूह मातृ सेवा का अधिकारी है। .”


माखनलाल चतुर्वेदी

“जीवन के छोटे से छोटे क्षेत्र में हिंदी अपना दायित्व निभाने में समर्थ है। .”


राजश्री पुरुषोत्तम दास टंडन

““राष्ट्रभाषा प्रचार समिति से मेरा परिचय आज का नहीं, बल्कि इसके जन्मकाल से ही
रहा है | एस कल में संस्था ने जितनी प्रगति की है उसके लिए सभी कार्यकर्ता बधाई के
पात्र है | मैं चाहता हूँ की जिस उत्साह के साथ उन्होंने इस काम को आरंभ किया है
उसको दुगुना करके चलाएँ |.”.”


डॉ. राजेंद्र प्रसाद

“राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने बहुत अच्छा कम किया है | मैं आशा करता हूँ की
उसकी उन्नति होगी और सरल हिन्दी को वह सारे देश में फैलाएगी |.”


जवाहरलाल नेहरु

> TOP NEWS

--------------------------------------------------------------------------------

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।



स्थापना

                  स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए अविरत संघर्ष में रत भारत के महान्‌
सेनानियों और विचारकों का ध्यान भारत के लिए सर्वमान्य राष्ट्रभाषा की ओर गया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस बात को गम्भीर प्रयास की ओर मोड़ते हुए कहा भी
‘राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।’ भारत की विशाल जनसंख्या, उसकी सामासिक
संस्कृति और विविध भाषाओं को ध्यान में रखकर एक ऐसी भाषा की आवश्‍यकता महसूस होने
लगी जो सरल हो, जिसे अधिकतर लोग बोलते हों और जिसके माध्यम से अधिकाधिक लोग
एक-दूसरे से सम्पर्क स्थापित कर सकें। इसी उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए पूज्य गांधी
जी दक्षिण-भारत में 18 वर्षों तक सफलतापूर्वक हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करते
रहे और अन्ततः उन्हीं की प्रेरणा से हिन्दी साहित्य सम्मेलन के नागपुर अधिवेशन में
सन्‌ 1936 में दक्षिण भारत को छोड़कर शेष हिन्दीतर प्रदेशों तथा विदेशों में भी
हिन्दी प्रचार के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की स्थापना वर्धा में की जाएऐसा
प्रस्ताव पारित हुआ। इसी के तहत पहली साधारण बैठक 4 जुलाई, 1936 को सेवाग्राम आश्रम
स्थित महात्मा गांधी जी के निवास स्थान पर हुई जिसमें राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,
वर्धा का गठन किया गया।

                 एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा का पवित्र संकल्प लेकर गांधी जी ने
इस समिति की प्राण-प्रतिष्ठा की और उनकी परिकल्पना को मूर्त रूप देने में डॉ.
राजेन्द्र प्रसाद, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन,  पं. जवाहरलाल नेहरू, नेताजी
सुभाषचन्द्र बोस, आचार्य नरेन्द्र देव, आचार्य काका कालेलकर, सेठ जमनालाल बजाज,
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पं. माखनलाल चतुर्वेदी, बाबा राघवदास, श्री वियोगी हरि
आदि महानुभावों ने जो अथक प्रयास किया, वह इतिहास के पृष्ठों में सुनहरे अक्षरों से
लिखा गया है। ये महानुभाव इस समिति के संस्थापक सदस्य थे और समिति का आज जो भी रूप
हमारे सामने है, वह इन्हीं महर्षियों की प्रेरणा, अथक्‌ प्रयास और आशीर्वाद का
परिणाम है। गुलाम और गूँगे भारत को स्वतन्त्र और एकात्म बनाने के लिए गांधी जी ने
जो विविध कार्यक्रम अपनाए और उन्हें संस्थागत रूप दिया, उनमें से एक राष्ट्रभाषा
प्रचार समिति, वर्धा है।

                भारत एक बहुभाषी देश है। विभिन्न भाषी देशवासियों को एकसूत्र में
बाँधने के लिए तथा सामान्य लोगों के बीच वैचारिक आदान-प्रदान के लिए एक सशक्त
माध्यम के रूप में सम्पर्क भाषा की आवश्‍यकता थी। इसे ही राष्ट्रभाषा भी कहा गया।
इसका उपयोग भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रचार-प्रसार के लिए तथा राष्ट्रीय
भावनाएँ पैदा करने, समस्त भारतीयों के हृदयों में एकात्मता तथा अखण्डता की भावना
उत्पन्न करने के माध्यम के रूप में किया गया। इस बात का भी ध्यान रखा गया कि यह
भाषा सरल हो, देश के अधिकांश लोग इसे बोलते और समझते हों। इन सभी गुणों से युक्त
हिन्दी ही थी और है। इस तथ्य का अनुभव कर गांधी जी ने राष्ट्रभाषा के रूप में
हिन्दी को अपनाने का विचार देश के सामने रखा, जिसका समर्थन सभी भाषा-भाषियों के
अतिरिक्त तत्कालीन देश के लगभग सभी कर्णधारों ने भी बड़े उदार मन से किया।

               गांधी जी द्वारा उस समय देश की भलाई के लिए जो चौदह सूत्री
जनहितकारी विधायक कार्यक्रम तैयार किया गया था उनमें से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम
राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार का भी था। वैसे तो राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी
प्रचार का कार्य महर्षि दयानन्द सरस्वती, केशवचन्द्र सेन, बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
आदि समाज-सुधारकों ने बहुत पहले ही शुरू कर दिया था। लोकमान्य तिलक ने काशी की
नागरी प्रचारिणी सभा के प्रांगण में दिए गए एक भाषण में कहा था, ‘हिन्दी ही देश की
राष्ट्रभाषा हो सकेगी।’ नागरी प्रचारिणी सभा तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
आदि संस्थाएँ हिन्दी भाषी क्षेत्र में हिन्दी के प्रचार-प्रसार और साहित्य निर्माण
के कार्य में लगी हुई थीं। हिन्दीतर प्रदेशों में योजनाबद्ध तरीके से प्रचार-प्रसार
की आवश्‍यकता थीं। दक्षिण भारत के तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ भाषी चार प्रदेशों
में हिन्दी प्रचार के लिए ‘दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा’ तथा शेष भारत के लिए
ङ्गराष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धाङ्घ की स्थापना की गई।

और पढ़ें

> सूचना/अधिसूचना

--------------------------------------------------------------------------------

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।

PUBLISHED ON SUN-02-2023

और पढ़ें

> परिपत्र/कार्यालयादेश

--------------------------------------------------------------------------------

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।

PUBLISHED ON WED-9-2020

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।

PUBLISHED ON WED-9-2020

और पढ़ें

> समाचार/गतिविधियां

--------------------------------------------------------------------------------

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।

PUBLISHED ON WED-9-2020

और पढ़ें




प्रवेश

 * प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।



सभी को देखें

राष्ट्रभाषा परीक्षाएँ

 * राष्ट्रभाषा परीक्षाएँ



सभी को देखें

विद्यार्थी कोना

 * प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।



सभी को देखें

अध्ययन केंद्र

 * प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।



सभी को देखें


सोशल मीडिया

 * सब
 * समाचार
 * यूट्यूब
 * ट्विटर
 * फेसबुक
   
 * फोटो गिलौरी

Previous
booksinvoice.com

World Hindi

हिंदी को जिंदा रखने के लिए करने होंगे प्रयास

हिंदी दिवस का महत्व

booksinvoice.com

World Hindi

हिंदी को जिंदा रखने के लिए करने होंगे प्रयास

हिंदी दिवस का महत्व

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।

हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बिहार देश का पहला राज्य था जिसने हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के तौर पर अपनाया।

हिन्दी की देवनागरी लिपि के वर्णों की संख्याम 52 है

booksinvoice.com

World Hindi

हिंदी को जिंदा रखने के लिए करने होंगे प्रयास

हिंदी दिवस का महत्व

booksinvoice.com

World Hindi

हिंदी को जिंदा रखने के लिए करने होंगे प्रयास

हिंदी दिवस का महत्व

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।

हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बिहार देश का पहला राज्य था जिसने हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के तौर पर अपनाया।

हिन्दी की देवनागरी लिपि के वर्णों की संख्याम 52 है

booksinvoice.com

World Hindi

हिंदी को जिंदा रखने के लिए करने होंगे प्रयास

हिंदी दिवस का महत्व

Next
×


SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.


@

Please Enter Valid EmailID.



Home

मुख्य पृष्ठ
पाठ्यक्रम
स्वागतम
राष्ट्रभाषा विभाग
सूचना पट्ट
सांविधिक निकाय
समिति के बारे में
प्रवेश विभाग
परीक्षा विभाग
अध्ययन केंद्र
पुस्तक बिक्री
सुविधाएं
फोटो गिलौरी
Shares






संपर्क

 * राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिंदी नगर, वर्धा- ४४२००३, महाराष्ट्र, भारत।

 * फोन न. (०७१५२) २४०७४५


Please Enter Valid EmailID.

Subscribe

 * ABOUT US
 * 
 *   |  
 * MEDIA ROOM
 * 
 *   |  
 * BLOG
 * 
 *   |  
 * PHOTO GALLERY
 * 
 *   |  
 * CONTACT US
 * 
 *   |  
 * FAQ
 * 
 *   |  
 * PRIVACY POLICY
 * 
 *   |  
 * COOKIE POLICY
 * 
 *   |  
 * TERM & CONDITION
 * 



Copyright 2020 © राष्ट्रभाषा प्रचार समिति , वर्धा

By continuing to use this website, you agree to our cookie policy. Learn more Ok