bhaktisangam.blogspot.com Open in urlscan Pro
2a00:1450:4001:80f::2001  Public Scan

URL: https://bhaktisangam.blogspot.com/2021/09/nag-panchami-wishes-quotes-messages.html
Submission: On August 03 via manual from IN — Scanned from DE

Form analysis 2 forms found in the DOM

https://bhaktisangam.blogspot.com/search

<form action="https://bhaktisangam.blogspot.com/search" class="search-form" role="search">
  <input autocomplete="off" class="search-input" name="q" placeholder="Search this blog" type="search" value="">
  <span class="hide-search"></span>
</form>

Name: contact-form

<form name="contact-form">
  <input ariby="Name" class="contact-form-name" id="ContactForm1_contact-form-name" name="name" placeholder="Name" size="30" type="text" value="">
  <input ariby="Email *" class="contact-form-email" id="ContactForm1_contact-form-email" name="email" placeholder="Email *" size="30" type="text" value="">
  <textarea ariby="Message *" class="contact-form-email-message" cols="25" id="ContactForm1_contact-form-email-message" name="email-message" placeholder="Message *" rows="5"></textarea>
  <input class="contact-form-button btn contact-form-button-submit" id="ContactForm1_contact-form-submit" type="button" value="Send">
  <p class="contact-form-error-message" id="ContactForm1_contact-form-error-message"></p>
  <p class="contact-form-success-message" id="ContactForm1_contact-form-success-message"></p>
</form>

Text Content

 * Home
 * Aarti
 * Stories
 * Chalisa
 * Bhajan
 * Slokes
 * All Post

 * Home
 * Aarti
 * Stories
 * Chalisa
 * Bhajan
 * Slokes
 * All Post





AD CODE





TICKER


श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा


SHRI GORAKH NATH CHALISA- गोरखनाथ जी की चालीसा

Bhakti Sagar


BHAKTI SAGAR


एकादशी माता की आरती


HARIYALI TEEJ IMPORTANCE, CELEBRATION, PUJA VIDHI


वैशाख अमावस्या क्या है? (WHAT IS VAISHAKH AMAVASYA IN HINDI)


अरदास मैं करा


माँ लक्ष्मी के 108 नामावली


POWERFUL MANTRAS - मंत्रो की शक्ति


श्रीरुद्राष्टकं ( तुलसीदास )


श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा


SHRI GORAKH NATH CHALISA- गोरखनाथ जी की चालीसा

Bhakti Sagar


BHAKTI SAGAR


एकादशी माता की आरती




HomeMessagesNag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status


NAG PANCHAMI WISHES, QUOTES, MESSAGES, WHATSAPP STATUS

webmaster Thursday, September 30, 2021


NAG PANCHAMI WISHES, QUOTES, MESSAGES, WHATSAPP STATUS

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की
शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या
सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं
दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या
प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को
नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती
है। आज के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में नाग कुआँ नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला
लगता है[, किंवदन्ति है कि इस स्थान पर तक्षक गरूड़ जी के भय से बालक रूप में काशी
संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आये, परन्तु गरूड़ जी को इसकी जानकारी हो गयी,और
उन्होंने तक्षक पर हमला कर दिया, परन्तु अपने गुरू जी के प्रभाव से गरूड़ जी ने
तक्षक नाग को अभय दान कर दिया, उसी समय से यहाँ नाग पंचमी के दिन से यहाँ नाग पूजा
की जाती है,यह मान्यता है, कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहाँ पूजा अर्चना कर नाग कुआँ
का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है। नागपंचमी के
ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान
भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता
है।

हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का
प्रयत्न किया है। हमारे यहां गाय की पूजा होती है। कई बहनें कोकिला-व्रत करती हैं।
कोयल के दर्शन हो अथवा उसका स्वर कान पर पड़े तब ही भोजन लेना, ऐसा यह व्रत है।
हमारे यहाँ वृषभोत्सव के दिन बैल का पूजन किया जाता है। वट-सावित्री जैसे व्रत में
बरगद की पूजा होती है, परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब
तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्टा पर पहुंच जाती है।




गाय, बैल, कोयल इत्यादि का पूजन करके उनके साथ आत्मीयता साधने का हम प्रयत्न करते
हैं, क्योंकि वे उपयोगी हैं। लेकिन नाग हमारे किस उपयोग में आता है, उल्टे यदि काटे
तो जान लिए बिना न रहे। हम सब उससे डरते हैं। नाग के इस डर से नागपूजा शुरू हुई
होगी, ऐसा कई लोग मानते हैं, परन्तु यह मान्यता हमारी संस्कृति से सुसंगत नहीं
लगती। नाग को देव के रूप में स्वीकार करने में आर्यों के हृदय की विशालता का हमें
दर्शन होता है। 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्‌' इस गर्जना के साथ आगे बढ़ते हुए आर्यों
को भिन्न-भिन्न उपासना करते हुए अनेक समूहों के संपर्क में आना पड़ा। वेदों के
प्रभावी विचार उनके पास पहुँचाने के लिए आर्यों को अत्यधिक परिश्रम करना पड़ा।

विभिन्न समूहों को उपासना विधि में रहे फर्क के कारण होने वाले विवाद को यदि निकाल
दिया जाए तो मानव मात्र वेदों के तेजस्वी और भव्य विचारों को स्वीकार करेगा, इस पर
आर्यों की अखण्ड श्रद्धा थी। इसको सफल बनाने के लिए आर्यों ने अलग-अलग पुंजों में
चलती विभिन्न देवताओं की पूजा को स्वीकार किया और अलग-अलग पुंजों को उन्होंने
आत्मसात करके अपने में मिला लिया। इन विभिन्न पूजाओं को स्वीकार करने के कारण ही
हमें नागपूजा प्राप्त हुई होगी, ऐसा लगता है।



भारत देश कृषिप्रधान देश हैं और है। सांप खेतों का रक्षण करता है, इसलिए उसे
क्षेत्रपाल कहते हैं। जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं,
उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है। साँप हमें कई मूक संदेश भी देता
है। साँप के गुण देखने की हमारे पास गुणग्राही और शुभग्राही दृष्टि होनी चाहिए।
भगवान दत्तात्रय की ऐसी शुभ दृष्टि थी, इसलिए ही उन्हें प्रत्येक वस्तु से कुछ न
कुछ सीख मिली।

साँप सामान्यतया किसी को अकारण नहीं काटता। उसे परेशान करने वाले को या छेड़ने
वालों को ही वह डंसता है। साँप भी प्रभु का सर्जन है, वह यदि नुकसान किए बिना सरलता
से जाता हो, या निरुपद्रवी बनकर जीता हो तो उसे मारने का हमें कोई अधिकार नहीं है।
जब हम उसके प्राण लेने का प्रयत्न करते हैं, तब अपने प्राण बचाने के लिए या अपना
जीवन टिकाने के लिए यदि वह हमें डँस दे तो उसे दुष्ट कैसे कहा जा सकता है? हमारे
प्राण लेने वालों के प्राण लेने का प्रयत्न क्या हम नहीं करते? साँप को सुगंध बहुत
ही भाती है। चंपा के पौधे को लिपटकर वह रहता है या तो चंदन के वृक्ष पर वह निवास
करता है। केवड़े के वन में भी वह फिरता रहता है। उसे सुगंध प्रिय लगती है, इसलिए
भारतीय संस्कृति को वह प्रिय है। प्रत्येक मानव को जीवन में सद्गुणों की सुगंध आती
है, सुविचारों की सुवास आती है, वह सुवास हमें प्रिय होनी चाहिए।



हम जानते हैं कि साँप बिना कारण किसी को नहीं काटता। वर्षों परिश्रम संचित शक्ति
यानी जहर वह किसी को यों ही काटकर व्यर्थ खो देना नहीं चाहता। हम भी जीवन में कुछ
तप करेंगे तो उससे हमें भी शक्ति पैदा होगी। यह शक्ति किसी पर गुस्सा करने में,
निर्बलों को हैरान करने में या अशक्तों को दुःख देने में व्यर्थ न कर उस शक्ति को
हमारा विकास करने में, दूसरे असमर्थों को समर्थ बनाने में, निर्बलों को सबल बनाने
में खर्च करें, यही अपेक्षित है।

कुछ दैवी साँपों के मस्तिष्क पर मणि होती है। मणि अमूल्य होती है। हमें भी जीवन में
अमूल्य वस्तुओं को (बातों को) मस्तिष्क पर चढ़ाना चाहिए। समाज के मुकुटमणि जैसे
महापुरुषों का स्थान हमारे मस्तिष्क पर होना चाहिए। हमें प्रेम से उनकी पालकी उठानी
चाहिए और उनके विचारों के अनुसार हमारे जीवन का निर्माण करने का अहर्निश प्रयत्न
करना चाहिए।[3] सर्व विद्याओं में मणिरूप जो अध्यात्म विद्या है, उसके लिए हमारे
जीवन में अनोखा आकर्षण होना चाहिए। आत्मविकास में सहायक न हो, उस ज्ञान को ज्ञान
कैसे कहा जा सकता है?

साँप बिल में रहता है और अधिकांशतः एकान्त का सेवन करता है। इसलिए मुमुक्षु को
जनसमूह को टालना चाहिए। इस बारे में साँप का उदाहरण दिया जाता है।

देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के
लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है। दुर्जन मानव भी यदि
सच्चे मार्ग पर आए तो वह सांस्कृतिक कार्य में अपना बहुत बड़ा योग दे सकता है और
दुर्बलता सतत खटकती रहने पर ऐसे मानव को अपने किए हुए सत्कार्य के लिए ज्यादा घमंड
भी निर्माण नहीं होगा।[4]

दुर्जन भी यदि भगवद् कार्य में जुड़ जाए तो प्रभु भी उसको स्वीकार करते हैं, इस बात
का समर्थन शिव ने साँप को अपने गले में रखकर और विष्णु ने शेष-शयन करके किया है।

समग्र सृष्टि के हित के लिए बरसते बरसात के कारण निर्वासित हुआ साँप जब हमारे घर
में अतिथि बनकर आता है तब उसे आश्रय देकर कृतज्ञ बुद्धि से उसका पूजन करना हमारा
कर्त्तव्य हो जाता है। इस तरह नाग पंचमी का उत्सव श्रावण महीने में ही रखकर हमारे
ऋषियों ने बहुत ही औचित्य दिखाया है।





कथा


प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे
पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदूषी और सुशील थी, परंतु उसके भाई नहीं था।

एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को
कहा तो सभी डलिया (खर और मूज की बनी छोटी आकार की टोकरी) और खुरपी लेकर मिट्टी
खोदने लगी। तभी वहां एक सर्प निकला, जिसे बड़ी बहू खुरपी से मारने लगी। यह देखकर
छोटी बहू ने उसे रोकते हुए कहा- 'मत मारो इसे? यह बेचारा निरपराध है।' यह सुनकर
बड़ी बहू ने उसे नहीं मारा तब सर्प एक ओर जा बैठा। तब छोटी बहू ने उससे कहा-'हम अभी
लौट कर आती हैं तुम यहां से जाना मत। यह कहकर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई और
वहाँ कामकाज में फँसकर सर्प से जो वादा किया था उसे भूल गई।[5]

उसे दूसरे दिन वह बात याद आई तो सब को साथ लेकर वहाँ पहुँची और सर्प को उस स्थान पर
बैठा देखकर बोली- सर्प भैया नमस्कार! सर्प ने कहा- 'तू भैया कह चुकी है, इसलिए तुझे
छोड़ देता हूं, नहीं तो झूठी बात कहने के कारण तुझे अभी डस लेता। वह बोली- भैया
मुझसे भूल हो गई, उसकी क्षमा माँगती हूं, तब सर्प बोला- अच्छा, तू आज से मेरी बहिन
हुई और मैं तेरा भाई हुआ। तुझे जो मांगना हो, माँग ले। वह बोली- भैया! मेरा कोई
नहीं है, अच्छा हुआ जो तू मेरा भाई बन गया।

कुछ दिन व्यतीत होने पर वह सर्प मनुष्य का रूप रखकर उसके घर आया और बोला कि 'मेरी
बहिन को भेज दो।' सबने कहा कि 'इसके तो कोई भाई नहीं था, तो वह बोला- मैं दूर के
रिश्ते में इसका भाई हूँ, बचपन में ही बाहर चला गया था। उसके विश्वास दिलाने पर घर
के लोगों ने छोटी को उसके साथ भेज दिया। उसने मार्ग में बताया कि 'मैं वहीं सर्प
हूँ, इसलिए तू डरना नहीं और जहां चलने में कठिनाई हो वहां मेरी पूछ पकड़ लेना। उसने
कहे अनुसार ही किया और इस प्रकार वह उसके घर पहुंच गई। वहाँ के धन-ऐश्वर्य को देखकर
वह चकित हो गई।[6]

एक दिन सर्प की माता ने उससे कहा- 'मैं एक काम से बाहर जा रही हूँ, तू अपने भाई को
ठंडा दूध पिला देना। उसे यह बात ध्यान न रही और उससे गर्म दूध पिला दिया, जिसमें
उसका मुख बेतरह जल गया। यह देखकर सर्प की माता बहुत क्रोधित हुई। परंतु सर्प के
समझाने पर चुप हो गई। तब सर्प ने कहा कि बहिन को अब उसके घर भेज देना चाहिए। तब
सर्प और उसके पिता ने उसे बहुत सा सोना, चाँदी, जवाहरात, वस्त्र-भूषण आदि देकर उसके
घर पहुँचा दिया।

इतना ढेर सारा धन देखकर बड़ी बहू ने ईर्षा से कहा- भाई तो बड़ा धनवान है, तुझे तो
उससे और भी धन लाना चाहिए। सर्प ने यह वचन सुना तो सब वस्तुएँ सोने की लाकर दे दीं।
यह देखकर बड़ी बहू ने कहा- 'इन्हें झाड़ने की झाड़ू भी सोने की होनी चाहिए'। तब
सर्प ने झाडू भी सोने की लाकर रख दी।

सर्प ने छोटी बहू को हीरा-मणियों का एक अद्भुत हार दिया था। उसकी प्रशंसा उस देश की
रानी ने भी सुनी और वह राजा से बोली कि- सेठ की छोटी बहू का हार यहाँ आना चाहिए।'
राजा ने मंत्री को हुक्म दिया कि उससे वह हार लेकर शीघ्र उपस्थित हो मंत्री ने
सेठजी से जाकर कहा कि 'महारानीजी छोटी बहू का हार पहनेंगी, वह उससे लेकर मुझे दे
दो'। सेठजी ने डर के कारण छोटी बहू से हार मंगाकर दे दिया।

छोटी बहू को यह बात बहुत बुरी लगी, उसने अपने सर्प भाई को याद किया और आने पर
प्रार्थना की- भैया ! रानी ने हार छीन लिया है, तुम कुछ ऐसा करो कि जब वह हार उसके
गले में रहे, तब तक के लिए सर्प बन जाए और जब वह मुझे लौटा दे तब हीरों और मणियों
का हो जाए। सर्प ने ठीक वैसा ही किया। जैसे ही रानी ने हार पहना, वैसे ही वह सर्प
बन गया। यह देखकर रानी चीख पड़ी और रोने लगी।

यह देख कर राजा ने सेठ के पास खबर भेजी कि छोटी बहू को तुरंत भेजो। सेठजी डर गए कि
राजा न जाने क्या करेगा? वे स्वयं छोटी बहू को साथ लेकर उपस्थित हुए। राजा ने छोटी
बहू से पूछा- तुने क्या जादू किया है, मैं तुझे दण्ड दूंगा। छोटी बहू बोली- राजन !
धृष्टता क्षमा कीजिए, यह हार ही ऐसा है कि मेरे गले में हीरों और मणियों का रहता है
और दूसरे के गले में सर्प बन जाता है। यह सुनकर राजा ने वह सर्प बना हार उसे देकर
कहा- अभी पहिनकर दिखाओ। छोटी बहू ने जैसे ही उसे पहना वैसे ही हीरों-मणियों का हो
गया।

यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया और उसने प्रसन्न होकर उसे बहुत सी
मुद्राएं भी पुरस्कार में दीं। छोटी वह अपने हार और इन सहित घर लौट आई। उसके धन को
देखकर बड़ी बहू ने ईर्षा के कारण उसके पति को सिखाया कि छोटी बहू के पास कहीं से धन
आया है। यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक-ठीक बता कि यह धन तुझे
कौन देता है? तब वह सर्प को याद करने लगी।

तब उसी समय सर्प ने प्रकट होकर कहा- यदि मेरी धर्म बहिन के आचरण पर संदेह प्रकट
करेगा तो मैं उसे खा लूँगा। यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने
सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है और
स्त्रियाँ सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।

Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami Wishes, Quotes, Messages, WhatsApp Status 2021



Nag Panchami 2021 - Nag Panchami Status in hindi - Nag Panchami Wishes



Telugu Naga Panchami festival Information Wallpapers pics photos free online
download



You may also like:
स्तोत्र
स्तोत्र
गीत के साथ नैगिरी नंदिनी || महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र || राजलक्ष्मी संजय ||
धार्मिक भक्ति गीत, आरती, भजन और भारत की पवित्र भूमि से श्लोक...
Shri Krishnastakam| Krishna Stotram| Vishnu Stuti|Krishna Bhajan| Madhvi
Madhukar Jha
Shri Krishnastakam| Krishna Stotram| Vishnu Stuti|Krishna Bhajan| Madhvi
Madhukar Jha
Shri Krishnastakam| Krishna Stotram| Vishnu Stuti|Krishna Bhajan| Madhvi
Madhukar Jha Video Sources Youtube : https://www.youtube.com/watc...
Mann Mai Basakar Teri Murti (मन में बसाकर तेरी मूर्ति: आरती )
Mann Mai Basakar Teri Murti (मन में बसाकर तेरी मूर्ति: आरती )
Mann Mai Basakar Teri Murti (मन में बसाकर तेरी मूर्ति: आरती ) मन में बसाकर तेरी
मूर्ति, उतारू में गिरधर तेरी आरती॥ करुणा करो कष्ट हर...
ASHTALAKSHMI STOTRAM | SACRED CHANTS OF MAHALAKSHMI | LAKSHMI DEVI STOTRAM |
VARALAKSHMI DEVI SONG
ASHTALAKSHMI STOTRAM | SACRED CHANTS OF MAHALAKSHMI | LAKSHMI DEVI STOTRAM |
VARALAKSHMI DEVI SONG
ASHTALAKSHMI STOTRAM | SACRED CHANTS OF MAHALAKSHMI | LAKSHMI DEVI STOTRAM |
VARALAKSHMI DEVI SONG Video Sources Youtube : https://www.you...
BHAKTI SAGAR
BHAKTI SAGAR
BHAKTI SAGAR त्रिमूर्तिधाम: श्री हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti
Trimurtidham) Misc | Bhakti Sagar त्रिमूर्तिधाम: श्री हनुमा...
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्रम् | Original with easy lyrics | #omnamahshivay
#shivtandav
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्रम् | Original with easy lyrics | #omnamahshivay
#shivtandav
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्रम् | Original with easy lyrics | #omnamahshivay
#shivtandav Video Sources Youtube : https://www.youtube.com/wa...
Sarkari Niyukti - Government Jobs in India - सरकारी नियुक्ति
Sarkari Niyukti - Government Jobs in India - सरकारी नियुक्ति
All Post of sarkariniyukti.blogspot.com SUBH DIWAS Important Days EID MUBARAK
Eid Mubarak ACTRESS BOLLYWOOD MOVIE ...
लिंगाष्टकम स्तोत्र - Lingashtakam | Brahma Murari Surarchita Lingam Full Song |
Shiv Lingashtakam
लिंगाष्टकम स्तोत्र - Lingashtakam | Brahma Murari Surarchita Lingam Full Song |
Shiv Lingashtakam
लिंगाष्टकम स्तोत्र - Lingashtakam | Brahma Murari Surarchita Lingam Full Song |
Shiv Lingashtakam Video Sources Youtube : https://www.yout...
⚡ by shareaholic
.
ads by shareaholic

Messages Nag Panchami Quotes WhatsApp Status Wishes
Reactions

 * 
 * 
 * 
 * 
 * 
 * 

 * Newer
   
   Navgrah Aarti- श्री नवग्रह आरती

 * Older
   
   Narsingh Jayanti 2021 Date: कब है नरसिंह जयंती


POSTED BY WEBMASTER


YOU MAY LIKE THESE POSTS


 * NAG PANCHAMI WISHES, QUOTES, MESSAGES, WHATSAPP STATUS
   
   September 30, 2021


POST A COMMENT


0 COMMENTS





MOST POPULAR


DOWNLOAD RAMANAND SAGAR RAMAYAN & UTTAR RAMAYAN FULL EPISODES

Thursday, September 30, 2021


ऐसे हुआ था भगवान गणेश का विवाह

Thursday, September 30, 2021


WALLPAPER OF MAA LAXMI AND GANESH JI

Sunday, November 03, 2013


देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्

Thursday, September 30, 2021


हनुमान जी की अतुलित शक्तियों का राज

Thursday, September 30, 2021


आनंदलहरी

Thursday, September 30, 2021


पौराणिक कथा – क्यों चढ़ाते है शनि देव को तेल

Thursday, September 30, 2021


गणेश अथर्वशीर्ष

Thursday, September 30, 2021


श्री साईं बाबा जी के ग्यारह वचन

Thursday, September 30, 2021


भगवान श्री परशुराम जयंती

Thursday, September 30, 2021




Speakdoor : News, Education, Entertainment, Photo, Video etc






FOOTER MENU WIDGET

 * Home

Crafted with by Blogging | Distributed by Gooyaabi



CONTACT FORM




Diese Website verwendet Cookies von Google, um Dienste anzubieten und Zugriffe
zu analysieren. Deine IP-Adresse und dein User-Agent werden zusammen mit
Messwerten zur Leistung und Sicherheit für Google freigegeben. So können
Nutzungsstatistiken generiert, Missbrauchsfälle erkannt und behoben und die
Qualität des Dienstes gewährleistet werden.Weitere InformationenOk
AddThis Sharing
PinterestFacebookEmailCopy Link
AddThis Sharing
 * Facebook
 * Twitter
 * Print
 * Email
 * Pinterest