educratsweb.com Open in urlscan Pro
148.66.138.136  Public Scan

URL: http://educratsweb.com/content.php?id=7399
Submission: On October 23 via manual from IN — Scanned from DE

Form analysis 4 forms found in the DOM

<form>
  <input name="q" type="text" value="search" onfocus="this.value = '';" onblur="if (this.value == '') {this.value = 'Search';}">
  <input type="submit" value="">
</form>

<form class="gsc-search-box gsc-search-box-tools" accept-charset="utf-8">
  <table cellspacing="0" cellpadding="0" class="gsc-search-box">
    <tbody>
      <tr>
        <td class="gsc-input">
          <div class="gsc-input-box" id="gsc-iw-id1">
            <table cellspacing="0" cellpadding="0" id="gs_id50" class="gstl_50 gsc-input" style="width: 100%; padding: 0px;">
              <tbody>
                <tr>
                  <td id="gs_tti50" class="gsib_a"><input autocomplete="off" type="text" size="10" class="gsc-input" name="search" title="search" id="gsc-i-id1" dir="ltr" spellcheck="false"
                      style="width: 100%; padding: 0px; border: none; margin: 0px; height: auto; background: url(&quot;https://www.google.com/cse/static/images/1x/en/branding.png&quot;) left center no-repeat rgb(255, 255, 255); outline: none;"></td>
                  <td class="gsib_b">
                    <div class="gsst_b" id="gs_st50" dir="ltr"><a class="gsst_a" href="javascript:void(0)" title="Clear search box" role="button" style="display: none;"><span class="gscb_a" id="gs_cb50" aria-hidden="true">×</span></a></div>
                  </td>
                </tr>
              </tbody>
            </table>
          </div>
        </td>
        <td class="gsc-search-button"><button class="gsc-search-button gsc-search-button-v2"><svg width="13" height="13" viewBox="0 0 13 13">
              <title>search</title>
              <path
                d="m4.8495 7.8226c0.82666 0 1.5262-0.29146 2.0985-0.87438 0.57232-0.58292 0.86378-1.2877 0.87438-2.1144 0.010599-0.82666-0.28086-1.5262-0.87438-2.0985-0.59352-0.57232-1.293-0.86378-2.0985-0.87438-0.8055-0.010599-1.5103 0.28086-2.1144 0.87438-0.60414 0.59352-0.8956 1.293-0.87438 2.0985 0.021197 0.8055 0.31266 1.5103 0.87438 2.1144 0.56172 0.60414 1.2665 0.8956 2.1144 0.87438zm4.4695 0.2115 3.681 3.6819-1.259 1.284-3.6817-3.7 0.0019784-0.69479-0.090043-0.098846c-0.87973 0.76087-1.92 1.1413-3.1207 1.1413-1.3553 0-2.5025-0.46363-3.4417-1.3909s-1.4088-2.0686-1.4088-3.4239c0-1.3553 0.4696-2.4966 1.4088-3.4239 0.9392-0.92727 2.0864-1.3969 3.4417-1.4088 1.3553-0.011889 2.4906 0.45771 3.406 1.4088 0.9154 0.95107 1.379 2.0924 1.3909 3.4239 0 1.2126-0.38043 2.2588-1.1413 3.1385l0.098834 0.090049z">
              </path>
            </svg></button></td>
        <td class="gsc-clear-button">
          <div class="gsc-clear-button" title="clear results">&nbsp;</div>
        </td>
      </tr>
    </tbody>
  </table>
</form>

POST https://feedburner.google.com/fb/a/mailverify

<form action="https://feedburner.google.com/fb/a/mailverify" method="post" target="popupwindow" onsubmit="window.open('https://feedburner.google.com/fb/a/mailverify?uri=educratsweb', 'popupwindow', 'scrollbars=yes,width=550,height=520');return true">
  <table width="100%" cellpadding="5px" cellspacing="0px" border="0px">
    <tbody>
      <tr>
        <td><a href="http://feeds.feedburner.com/educratsweb" target="_blank" title="Click to open in a new window" rel="nofollow"><img height="25px" src="https://feedburner.google.com/fb/lib/images/icons/feed-icon-16x16-gray.gif"></a></td>
        <td><input type="text" id="txtbox" name="email" placeholder="Enter your email address" style="width:100%"></td>
        <td> &nbsp; <input type="hidden" value="educratsweb" name="uri">
          <input type="hidden" name="loc" value="en_US">
          <input type="submit" value="Subscribe" id="btn">
        </td>
      </tr>
    </tbody>
  </table>
</form>

Name: mc-embedded-subscribe-formPOST https://educratsweb.us5.list-manage.com/subscribe/post?u=c4554be70e24b26c70d74f4ea&id=ea12557ce9

<form action="https://educratsweb.us5.list-manage.com/subscribe/post?u=c4554be70e24b26c70d74f4ea&amp;id=ea12557ce9" method="post" id="mc-embedded-subscribe-form" name="mc-embedded-subscribe-form" class="validate" target="_blank"
  novalidate="novalidate">
  <div id="mc_embed_signup_scroll">
    <h2>Subscribe our Newsletter</h2>
    <div style="border-bottom:1px solid silver">&nbsp;</div>
    <div class="indicates-required"><span class="asterisk">*</span> indicates required</div>
    <div class="mc-field-group">
      <label for="mce-EMAIL">Email Address <span class="asterisk">*</span>
      </label>
      <input type="email" value="" name="EMAIL" class="required email" id="mce-EMAIL" aria-required="true">
    </div>
    <div class="mc-field-group">
      <label for="mce-FNAME">First Name </label>
      <input type="text" value="" name="FNAME" class="" id="mce-FNAME">
    </div>
    <div class="mc-field-group">
      <label for="mce-LNAME">Last Name </label>
      <input type="text" value="" name="LNAME" class="" id="mce-LNAME">
    </div>
    <div class="mc-field-group size1of2">
      <label for="mce-BIRTHDAY-month">Birthday </label>
      <div class="datefield">
        <span class="subfield monthfield"><input class="birthday " type="text" pattern="[0-9]*" value="" placeholder="MM" size="2" maxlength="2" name="BIRTHDAY[month]" id="mce-BIRTHDAY-month"></span> / <span class="subfield dayfield"><input
            class="birthday " type="text" pattern="[0-9]*" value="" placeholder="DD" size="2" maxlength="2" name="BIRTHDAY[day]" id="mce-BIRTHDAY-day"></span>
        <span class="small-meta nowrap">( mm / dd )</span>
      </div>
    </div>
    <p><a href="https://us5.campaign-archive.com/home/?u=c4554be70e24b26c70d74f4ea&amp;id=ea12557ce9" title="Click to open in a new window" target="_blank" rel="nofollow">View previous campaigns.</a></p>
    <p>Powered by <a href="http://eepurl.com/hH4Bx9" title="Click to open in a new window" target="_blank" rel="nofollow">MailChimp</a></p>
    <div id="mce-responses" class="clear">
      <div class="response" id="mce-error-response" style="display:none"></div>
      <div class="response" id="mce-success-response" style="display:none"></div>
    </div> <!-- real people should not fill this in and expect good things - do not remove this or risk form bot signups-->
    <div style="position: absolute; left: -5000px;" aria-hidden="true"><input type="text" name="b_c4554be70e24b26c70d74f4ea_ea12557ce9" tabindex="-1" value=""></div>
    <div class="clear"><input type="submit" value="Subscribe" name="subscribe" id="mc-embedded-subscribe" class="button"></div>
  </div>
</form>

Text Content

 * Home
 * News
 * Contents
 * Q&A
 * Jobs
 * Directory
 * IFSC
 * Link
 * RSS
 * Bhakti Sangam
 * Register
 * Login




EDUCRATSWEB.COM >> भगवा - EDUCRATSWEB.COM



×

search
 

Web
Image

Sort by:
Relevance

Relevance
Date





भगवा

Posted By educratsweb.com ❄ Bhakti Sagar 🗓 Monday October 18 2021 👁 79
Tag : #

भगवा

एक महातपस्वी मुनि का आश्रम था , वहां के वृक्ष भी तपस्वियों के अग्निहोत्रों के
कारण धूमपंक्तियों से युक्त दिखाई पडते थे ! वहां से वेदमन्त्रों की ध्वनियों को
सुस्पष्ट सुना जा सकता था ! आश्रम में बरगद का एक विशाल वृक्ष था जिसके शोभा
हरे-हरे पत्तों से बढ गयी थी , इसे घेरे हुए अनेकों वृक्ष थे और यह बरगद इन सबके
बीच में राजा की भॉति सुशोभित होता था !

इस महावृक्ष के नीचे अनेकों तपस्वी साधना करते थे और निरन्तर श्रीहरि के गुणों की
परस्पर चर्चा करते रहते थे ! अनेक तपस्वियों के बाल वृद्धावस्था के कारण दूध के
समान सफेद थे और उनके चेहरे तप की अधिकता से प्रकाशमान थे !

.

इस आश्रम के समीप एक सरोवर था , जहां आश्रम के तपस्वी आते थे , इनके द्वारा धोये
गये भीगे वस्त्रों से सरोवर के तट का जल लाल-गुलाबी हो गया था ! यह स्थान नाना
प्रकार के वृक्षों से हरा-भरा था ! सरोवर के पास ही असंख्य बेरों के पेड थे ! हंसों
और सारसों के कलनाद से सुन्दरता में वृद्धि हो गई थी ! मोरों और कोयलों के कलरवों
से मन वहां से हटता नहीं था ! मोरों की मीठी बोलियों ने वहां का वातावरण सुखद बना
दिया था !

झुण्ड के झुण्ड हिरन विचरते थे , अनेक जलस्रोत व झरने दिखाई देते थे ! आश्रम के
समीप सरोवर में एक दिव्य हंस का जोडा रहता था जो मनुष्य वाणी में बोल सकता था !
मुनियों की संगति के कारण ये धर्मविषयक ज्ञान से परिपूर्ण थे ! यह दिव्य हंस का
जोडा सदैव रामनाम जपता रहता था , किसी अंजान व्यक्ति को सरोवर के नजदीक आया देख उड
जाया करते थे !

.

वहां के राजा ने उन हंसों की ख्याति सुनी और महामन्त्री को कहा - कुछ ऐसा प्रयास
करो कि वें हंस हमारे अधीन हो जाएं , उन्हें प्राप्त करने की इच्छा मुझमें बढ रही
है ! महामन्त्री ने कहा - राजन् ! आपकी आज्ञा का पालन होगा और शीघ्र ही उस दिव्य
हंस के जोडे को आपकी सेवा में प्रस्तुत किया जाएगा !

महामन्त्री ने बहुतेरे प्रयत्न किए , लेकिन उन दिव्य हंसों को पकडने में सफलता नहीं
मिली ! जब-जब सैनिक सरोवर तट पर पहुँचते वे उड जाया करते थे , साधारण वेशभूषा में
जाने पर भी उन्हें अधिकार में लेने के प्रयास असफल सिद्ध हुए !

.

विफलता को देख महामन्त्री ने एक मन्त्री से कहा - बंधु ! तुम तपस्वी के वेश में
भगवा धारण कर हंसों के समीप जाओ , मुनियों के सानिध्य में रहने वाले हंस भगवा देख
विश्वास करेंगे और छलपूर्वक पकड लिए जायेंगे !

तपस्वी रूप में भगवा धारण कर सरोवर तट पर पहुँचे मन्त्री पर , मुनियों के चरणकमलों
का आश्रय लेने वाले हंस विश्वास कर बैठे और मन्त्री के जाल में फंस गये ! दोनों
हंसों को पिंजरे में बंद कर दिया गया ! महामन्त्री ने हंसों को देखकर कहा - हमारी
युक्ति कार्य कर गई , अब इन्हें महाराज के निकट ले चलते हैं ! वे हमें सफल मनोरथ
देख अवश्य प्रसन्न होंगे !

.

महामन्त्री पिंजरे को ले सैनिकों सहित मार्ग में वनों , नदियों , सरोवरों और गांव -
नगरों का अवलोकन करते हुए प्रजा द्वारा सम्मानित होते हुए शीघ्रतापूर्वक राजमहल की
ओर बढ़ चले !

राजदरबार में रामनाम जपने वाले हंसों को देखकर सभी आश्चर्यचकित और प्रसन्न थे !
राजा ने इन्हें देखकर कहा - आप दोनों हंसों का आदरपूर्वक व सम्मानसहित स्वागत है !
कहिए आपकी सेवा किस प्रकार की जाए !

.

हंसों ने मनुष्यवाणी में राजा को संबोधित किया - हे राजन ! हमें इस पिंजरे से
निकालिए ! हम शपथ लेते हैं कि जब तक आपकी आज्ञा नहीं होगी तब तक हम आपके समीप ही
रहेंगे ! राजा ने उत्तर दिया - दिव्य हंसों ! मुझे आप दोनों धर्मज्ञों पर पूर्ण
विश्वास है , यहां आपकी सुख-सुविधाओं का पूर्ण ध्यान रखा जाएगा ! राजा की आज्ञा से
उन्हें पिंजरे से आजाद कर दिया गया !

.

हंसों ने कहा - महाराज ! जहां बहुत से महात्मा-मुनि निवास करते हैं वही हमारा
वासस्थान होने योग्य है , यह राजमहल नहीं ! यहां आपकी अधीनता में रहकर मन्त्रों का
पाठ व जप करने में हमारा मन नहीं लगेगा , हम उदासीन भावों से राजमहल की छतों पर बैठ
मुनि-आश्रम की ओर निहारा करेंगे ! आपके उपवन का सरोवर हमें सुख प्रदान नहीं करेगा !
हमें ऐसे ही क्लेश पहुँचा है जैसे भीषण गर्मी में जलाशय का पानी सूख जाने से उसके
भीतर रहने वाले जीव तडप उठते हैं !

.

.

हंसों की शोकपूर्ण बात सुन राजा ने उन्हें सान्त्वना देते हुए कहा - दिव्य और
धर्मात्मन् हंसों आप दोनों शोकमग्न न हों , यहां आपको कोई कष्ट नहीं होगा , आप
हमारे विशिष्ट अतिथि बन यहां की सुविधाओं को भोगेंगे !

हंसों ने प्रतिउत्तर दिया -महाराज ! आपकी जय हो ! सुख के सांस तो स्वाधीनता में ही
लिए जाते हैं , पराधीनता में नहीं ! आपको आनन्द की प्राप्ति हो , आप सावधान रहकर
शत्रुओं से राज्य की रक्षा करते हुए प्रजा का पुत्रवत् पालन करें ! आप प्रसन्न रहें
, यही हमारा प्रयास होगा और यही धर्म !

.

-----------------------------------------------------------------------------

.

राजमहल में रहते हुए हंसों के तीन माह व्यतीत हो गये ! एक दिन राजा ने हंसों को
ज्ञानोपदेश देने की प्रार्थना की ! हंसों ने कहा - राजन ! आपने सभी शास्त्रों का
अध्ययन किया हुआ है , कोई बात शेष नहीं है ! आपमें यौवन , अतिबल और ऐश्वर्य आदिक
सभी गुणों का समावेश है , इनमें से एक भी अनर्थ कर सकता है ! राजा के समक्ष उसे
उपदेश देने का साहस कोई विरला ही कर सकता है , फिर भी आप सुनें -

.

धन की अति से मिथ्या अभिमान और उन्माद पैदा होता है , पूज्यों की पूजा नहीं कर
मनमाना आचरण किया जाता है ! अभिमानवश विद्वानों का उपहास किया जाता है ! धन से
साधना नहीं प्राप्त की जा सकती , इससे तो जीवन धनिकों के समान ही बीतेगा और
शास्त्रों के विरुद्ध कार्य करने की ओर उन्मुख होंगे !

जो अपूज्य हैं उनका पूजन करने से और जो पूज्य हैं उनका पूजन न करने से मनुष्य
निश्चित ही महान् पाप को प्राप्त होता है इसमें किंचित् भी संदेह नहीं है ! जहां
दुर्जनों का आदर होता है और सत्पुरुषों का अनादर होता है वहां अति शीघ्र ही दारुण
दैवी दण्ड उपस्थित होता है !

.

मन के साथ वाणी जिसे न पाकर लौट आती है , उस आनन्दस्वरूप ब्रह्म को जानने वाला कहीं
भयभीत नहीं होता है , जिससे परे और भिन्न कुछ भी नहीं है , वही सम्पूर्ण जगत है ,
उसे जान लेने पर मुक्ति प्राप्त हो जाती है !

मनुष्यवाणी में बोलने वाले दिव्य हंसों ने राजा को कहा - काल ही सबकुछ उत्पन्न करता
है और काल ही सबका संहार करता है , विश्व की स्थापना काल करता है और काल के ही अधीन
यह सारा जगत है ! सभी शक्तियों के स्वामी मायापति प्रभु स्वयं काल हैं और काल को भी
उत्पन्न करने वाले हैं !

.

राजा ने कहा - हे धर्मपरायणों ! कृपया आप अपने संन्यासविषयक वचनामृतों से मुझे और
अधिक संतुष्टि प्रदान करें ! मेरी तृप्ति पूर्ण नहीं हुई है ! हंसों ने राजा को
जवाब दिया -

राजन ! आपने छल से भगवे का दुरुपयोग कर हमें बंदी बनाया है ! भगवे को धारणकर इसकी
मर्यादा स्थापित होनी चाहिए ! विषयों को विष के समान त्यागकर ब्रह्म को सत्य जान
लौकिक व पारलौकिक सुखों की इच्छा को त्याग बुद्धि को ब्रह्म में स्थिर रखें ! संतोष
, दया , क्षमा , सरलता , शम और दम अमृत के समान नित्य सेवन करें ! भगवे का दुरुपयोग
होने पर सर्वनाश की स्थिती प्रकट हुआ करती है और कुल के कुल नष्ट हो जाते हैं !

.

श्रीमद्भगवद्गीता में प्रभु श्रीकृष्ण कहते हैं -काम्यानां कर्मणां न्यासं संन्यासं
कवयो विदुः अर्थात् समस्त काम्य कर्मो का परित्याग कर देने का नाम ही संन्यास है !
संन्यास धारण करने पर प्रथम कर्त्तव्य है ध्यान , इसके पश्चात् आत्मशुद्धि ,
एकान्तवास , जिससे ब्रह्मध्यान ठीक प्रकार से हो सके , इसी में मानवजीवन की
परिपूर्णता निहित है ! इन्द्रियों का निग्रह न होने से मन में स्थिरता नहीं आती यह
अस्थिरता ही मुक्ति में बाधक है !

.

राजा ने हंसों को कहा - धर्मज्ञों ! मैं आप दोनों से क्षमा मांगता हूँ , अपने
दुष्कृत्य के लिए , भगवे के दुरुपयोग के लिए , आप दोनों मेरे अपराध को क्षमा करें !
मैं आप दोनों को मुक्त करता हूँ , आप कहीं भी जाने के लिए स्वतन्त्र हैं !

हंसों ने राजा को कहा - सदैव ईश्वर के श्रीचरणों का ध्यान करें , उत्तम चरित्र ही
सर्वोत्तम आभूषण है !

.

राजा ने हंसों से निवेदन किया -अब मेरी इच्छा युवराज को राज्य दे वानप्रस्थ में
प्रवेश करने की है ! दिव्य हंसों ने कहा - राजन ! आपने यह उत्तम संकल्प लिया है !
आपको साधुवाद ! राजा ने शुभ मुहूर्त देख युवराज को राज्य दिया और कहा - मैं साधना
द्वारा ईश्वरचरणों में ध्यान लगाऊँगा , तुम क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए , धर्म
में निरत होकर , चातुर्वर्ण्य से समन्वित इस सम्पूर्ण राज्य का कुशलतापूर्वक पालन
करो !

अपने पुत्र को राज्य दे राजा ने हंसों संग मुनि के आश्रम की ओर प्रस्थान किया !

.

.

महाराज विशालबाहु के प्रति आदर-सम्मान प्रदर्शित करने के लिए उनके पुत्र सेना सहित
कुछ दूरी तक पीछे-पीछे चले , उन वीरों ने भयंकर शस्त्र और कवच धारण किए हुए थे ,
सबके माथे पर तिलक था !

मार्ग में शुभ की सूचना देने वाले शकुन प्रकट होने लगे ! राजा का दाहिना नेत्र और
दाहिना हाथ फडकने लगा जो उत्तम फल की प्राप्ति का सूचक था ! सरोवर के निकट पहुँच
राजा ने देखा कि बहुत से मुनि महाकाव्य रामायण का पाठ कर रहे हैं , कुछ ब्राह्मण
स्मृतियों के और कुछ ब्राह्मण वेदत्रयी के स्वाध्याय में लगे हैं ! यह देख राजा को
बहुत हर्ष हुआ और उन सबकी बारम्बार पृथक-पृथक वंदना की और शुभाशीष लिया !

.

इसके पश्चात् राजा ने आश्रम में स्थित महामुनि को देख उनके श्रीचरणों में दण्डवत
प्रणाम किया और महामुनि ने भी राजा का सत्कार करते हुए राज्य के सातों अंगों ( राजा
, मन्त्री , राष्ट्र , किला , खजाना , सेना और मित्रवर्ग ) की कुशलता पूछी !

राजा ने कहा - स्वामिन् ! आपकी कृपा से मेरे राज्य के सातों अंग कुशल से हैं और मैं
इस समय आपकी शरण में आया हूँ जिससे मेरे चित्त को शान्ति प्राप्त हो और मेरा अपराध
क्षमा हो !

.

मुनि ने ध्यानस्थ हो सारा वृतान्त जान उसके पश्चात् राजा से कहा - वत्स ! तुम्हारा
कल्याण हो ! तुम्हारी हंसों के प्रति उत्तम बुद्धि से , मर्यादित आचरण से मैं
संतुष्ट हूँ ! सौम्य ! अपने मन में कोई शोक न रख श्रीहरि के युगल चरणों का निरन्तर
ध्यान करो , उनके पवित्र पावन नाम का स्मरण ही अपराध को जड से सदा के लिए मिटा देता
है !

राजा ने भगवा धारणकर मुनि की शरण ग्रहण की और वानप्रस्थ जीवन का प्रारम्भ किया !
महामुनि संग दिव्य हंसों ने राजा को आर्शीवाद व स्नेह प्रदान किया !




--------------------------------------------------------------------------------

एक ! .
----------------------------------------------------------------------------- .
राजमहल ! . . महाराज ! . . हंसों ! . इस ! . इसके ! . मन ! . महामन्त्री ! . मुनि !
. राजा ! . वहां ! . विफलता ! . श्रीमद्भगवद्गीता ! . हंसों ! अपने ! इस ! जो !
झुण्ड ! तपस्वी ! मनुष्यवाणी ! महामन्त्री ! मार्ग ! राजदरबार ! राजा ! हंसों - .
धन - राजन -अब -काम्यानां -महाराज अंग अंगों अंजान अग्निहोत्रों अति अतिथि अतिबल
अधिक अधिकता अधिकार अधीन अधीनता अध्ययन अनर्थ अनादर अनेक अनेकों अपने अपराध अपूज्य
अब अभिमान अभिमानवश अमृत अर्थात् अवलोकन अवश्य असंख्य असफल अस्थिरता आचरण आजाद
आज्ञा आती आते आत्मशुद्धि आदर आदर-सम्मान आदरपूर्वक आदिक आनन्द आनन्दस्वरूप आप आपकी
आपके आपको आपने आपमें आभूषण आया आर्शीवाद आश्चर्यचकित आश्रम आश्रय इच्छा इन इनके
इनमें इन्द्रियों इन्हें इस इसकी इसके इसमें इससे इसी इसे ईश्वर ईश्वरचरणों उठते उड
उत्तम उत्तर उत्पन्न उदासीन उन उनका उनके उन्माद उन्मुख उन्हें उपदेश उपवन उपस्थित
उपहास उस उसके उसे एक एकान्तवास ऐश्वर्य ऐसा ऐसे ओर और कर करता करती करते करने करें
करेंगे करेगा करो कर्त्तव्य कर्मणां कर्मो कलनाद कलरवों कल्याण कवच कवयो कष्ट कहते
कहा कहिए कहीं का काम्य कारण कार्य काल कि किंचित् किए किया किला किस किसी की कुछ
कुल कुशल कुशलता कुशलतापूर्वक कृपया कृपा के को कोई कोयलों क्लेश क्षत्रिय क्षमा
खजाना ख्याति गई गया गयी गये गर्मी गांव गुणों ग्रहण घेरे चरणकमलों चरणों चरित्र
चर्चा चलते चले चातुर्वर्ण्य चाहिए चित्त चेहरे छतों छल छलपूर्वक जगत जड जप जपता
जपने जब जब-जब जय जल जलस्रोत जलाशय जवाब जहां जा जाए जाएं जाएगा जाओ जाता जाती जाते
जान जानने जाने जाया जायेंगे जाल जिसके जिससे जिसे जीव जीवन जैसे जो जोडा जोडे
ज्ञान ज्ञानोपदेश झरने झुण्ड ठीक तक तट तडप तप तपस्वियों तपस्वी तब तिलक तीन तुम
तुम्हारा तुम्हारी तृप्ति तो त्याग त्यागकर था थी थे दण्ड दण्डवत दम दया दारुण
दाहिना दिखाई दिन दिया दिव्य दुरुपयोग दुर्जनों दुष्कृत्य दूध दूरी दे देख देखकर
देखा देता देते देने दैवी दोनों द्वारा धन धनिकों धर्म धर्मज्ञों धर्मपरायणों
धर्मविषयक धर्मात्मन् धारण धारणकर धूमपंक्तियों धोये ध्यान ध्यानस्थ ध्वनियों नगरों
नजदीक नदियों नष्ट नहीं नाना नाम निकट निकालिए निग्रह नित्य निरत निरन्तर निवास
निवेदन निश्चित निहारा निहित नीचे ने नेत्र न्यासं पकड पकडने पडते पत्तों पर परस्पर
पराधीनता परित्याग परिपूर्ण परिपूर्णता परे पवित्र पश्चात् पहुँच पहुँचते पहुँचा
पहुँचे पाकर पाठ पानी पाप पारलौकिक पालन पावन पास पिंजरे पीछे-पीछे पुत्र पुत्रवत्
पूछी पूजन पूजा पूज्य पूज्यों पूर्ण पृथक-पृथक पेड पैदा प्रकट प्रकार प्रकाशमान
प्रजा प्रणाम प्रति प्रतिउत्तर प्रथम प्रदर्शित प्रदान प्रभु प्रयत्न प्रयास प्रवेश
प्रसन्न प्रस्तुत प्रस्थान प्राप्त प्राप्ति प्रारम्भ प्रार्थना फंस फडकने फल फिर
बंद बंदी बंधु बढ बढ़ बन बना बनाया बरगद बहुत बहुतेरे बात बाधक बारम्बार बाल बीच
बीतेगा बुद्धि बेरों बैठ बैठे बोल बोलने बोलियों ब्रह्म ब्रह्मध्यान ब्राह्मण भगवा
भगवे भयंकर भयभीत भावों भिन्न भी भीगे भीतर भीषण भॉति भोगेंगे मन मनमाना मनुष्य
मनुष्यवाणी मनोरथ मन्त्री मन्त्रों मर्यादा मर्यादित महाकाव्य महातपस्वी
महात्मा-मुनि महान् महामन्त्री महामुनि महाराज महावृक्ष मांगता माथे मानवजीवन
मायापति मार्ग माह मिटा मित्रवर्ग मिथ्या मिली मीठी मुक्त मुक्ति मुझमें मुझे मुनि
मुनि-आश्रम मुनियों मुहूर्त में मेरा मेरी मेरे मैं मोरों यह यहां यही युक्त युक्ति
युगल युवराज ये योग्य यौवन रक्षा रख रखा रखें रहकर रहता रहते रहने रही रहे रहें
रहेंगे राजन राजन् राजमहल राजा राज्य रामनाम रामायण राष्ट्र रूप लगा लगाऊँगा लगे
लगेगा लाल-गुलाबी लिए लिया ले लेकिन लेते लेने लौकिक लौट वंदना वचनामृतों वत्स वनों
वस्त्रों वहां वही वाणी वातावरण वानप्रस्थ वाला वाले वासस्थान विचरते विदुः
विद्वानों विरला विरुद्ध विशाल विशालबाहु विशिष्ट विश्व विश्वास विष विषयों वीरों
वृक्ष वृक्षों वृतान्त वृद्धावस्था वृद्धि वे वें वेदत्रयी वेदमन्त्रों वेश वेशभूषा
व्यक्ति व्यतीत शकुन शक्तियों शत्रुओं शपथ शम शरण शस्त्र शान्ति शास्त्रों शीघ्र
शीघ्रतापूर्वक शुभ शुभाशीष शेष शोक शोकपूर्ण शोकमग्न शोभा श्रीकृष्ण श्रीचरणों
श्रीहरि संकल्प संग संगति संतुष्ट संतुष्टि संतोष संदेह संन्यास संन्यासं
संन्यासविषयक संबोधित संहार सकता सकती सके सत्कार सत्पुरुषों सत्य सदा सदैव सफल
सफलता सफेद सबका सबकी सबकुछ सबके सभी समक्ष समन्वित समय समस्त समान समावेश समीप
सम्पूर्ण सम्मानसहित सम्मानित सरलता सरोवर सरोवरों सर्वनाश सर्वोत्तम सहित सांस
सातों साथ साधना साधारण साधुवाद सानिध्य सान्त्वना सारसों सारा सावधान साहस सिद्ध
सुख सुख-सुविधाओं सुखद सुखों सुन सुना सुनी सुनें सुन्दरता सुविधाओं सुशोभित
सुस्पष्ट सूख सूचक सूचना से सेना सेवन सेवा सैनिक सैनिकों सौम्य स्थान स्थापना
स्थापित स्थित स्थिती स्थिर स्थिरता स्नेह स्मरण स्मृतियों स्वतन्त्र स्वयं स्वागत
स्वाधीनता स्वाध्याय स्वामिन् स्वामी हंस हंसों हटता हम हमारा हमारी हमारे हमें
हरा-भरा हरे-हरे हर्ष हाथ हिरन ही हुआ हुई हुए हूँ हे है हैं हो हों होंगे होकर
होगा होगी होता होते होनी होने

--------------------------------------------------------------------------------

if you have any information regarding Job, Study Material or any other
information related to career. you can Post your article on our website. Click
here to Register & Share your contents.
For Advertisment or any query email us at educratsweb@gmail.com
Submit Guest Post Guest Post Submit Job Information Submit Contents
Category Contents Jobs Link Photo Video Business Directory
Our presence in social media Twitter Facebook Telegram Whatsapp Grroup vk.com
Flipboard
Contact us Contact us
Explore more Web Archive Free Online Practice Set Our Blog Search Pincode Search
Bank IFSC Code Best Deal Greetings Recent Jobs RSS Advertise with us Question
follow.it Sitemap
Tag Tag Search
You might enjoy reading:
माता वैष्णो देवी की अमर कथा
श्री संकट मोचन हनुमानजी
कर्मो का फल
Holi 2020: इस होली क्या रहेगा खास, योग से लेकर शुभ मुहूर्त तक, जानें सबकुछ
सच्चे भक्त जीवन के हर क्षण को भगवान का आशीर्वाद मानकर उसे स्वीकार करते हैं
स्किल इंडिया ने महामारी के दौरान आवश्यक सेवाओं के लिए 900 सत्यापित पलम्बर की
सूची मुहैया कराई ह...

बलराम - एक बहु आयामी व्यक्तित्व !
संविदा कर्मियों के साथ भेदभाव कर रही सरकार
सनातन संस्कृति में 8400000 योनियों का वर्णन है
Great places to visit in Curacao
श्री शारदा चालीसा
रोना हो तो कृष्ण के लिए ही रोयें.....

We would love to hear your thoughts, concerns or problems with anything so we
can improve our website educratsweb.com !
Email us at educratsweb@gmail.com and submit your valuable feedback.
Save this page as PDF

Please enable JavaScript to view the comments powered by Disqus.


POPULAR CONTENTS

DOWNLOAD RAMANAND SAGAR RAMAYAN & UTTAR RAMAYAN FULL EPISODES 702

Bhakti Sagar Saturday May 29 2021


ऐसे हुआ था भगवान गणेश का विवाह 343

Bhakti Sagar Tuesday August 10 2021


भगवान विश्वकर्मा चालीसा 302

Chalisa Sangrah Saturday July 24 2021


EDUCRATSWEB.COM की तरफ से विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ 254

Festival Monday October 7 2019


भगवान श्रीगणेशजी की आरती - SHRI GANESH JI KI AARTI 204

Bhakti Sagar Saturday September 12 2020


भगवान श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर 145

Kayastha Thursday May 20 2021


भगवान भैरव चालीसा 139

Chalisa Sangrah Saturday July 24 2021


भगवान ब्रह्मा चालीसा 126

Chalisa Sangrah Saturday July 24 2021


भगवान श्री चित्रगुप्त जी स्तुति - जय चित्रगुप्त यमेश तव! (SHRI CHITRAGUPT STUTI)
126

Kayastha Tuesday September 14 2021


भगवान शिव चालीसा 121

Chalisa Sangrah Saturday July 24 2021


भगवान श्री परशुराम जयंती 119

Bhakti Sagar Tuesday May 11 2021


भगवान सूर्य देव चालीसा 117

Chalisa Sangrah Saturday July 24 2021


सच्चे भक्त जीवन के हर क्षण को भगवान का आशीर्वाद मानकर उसे स्वीकार करते हैं 104

Bhakti Sagar Monday October 18 2021


SHRI KRISHNA - (PART 1 TO 140) BY RAMANAND SAGAR 91

spiritual Sunday April 19 2020


चारों युग में भगवान, विष्णु का ध्यान 90

Bhakti Sagar Monday October 18 2021


भगवा 79

Bhakti Sagar Monday October 18 2021


भगवान शिव के रुद्रावतार 72

Bhakti Sagar Wednesday September 1 2021


MISSION SAGAR - INS KESARI AT PORT LOUIS, MAURITIUS 67

News Saturday May 23 2020


आरती कृष्ण भगवान की - KRISHNA AARTI 66

Bhakti Sagar Saturday September 12 2020


PORTAL.EDUCRATSWEB.COM - EDUCRATSWEB NEWS, EDUCATION, ENTERTAINMENT, PHOTO,
VIDEO ETC 61

Blog Saturday June 12 2021


SUBH SHANIWAR (SATURDAY)
SATURDAY 23RD OF OCTOBER 2021



दीपावली की शुभकामना संदेश भेजे



FOLLOW US ON TWITTER



भैया दूज की शुभकामना संदेश भेजे



SUBMIT YOUR LINK ON OUR WEBSITE



छठ पूजा की शुभकामना संदेश भेजे



 


List Your Business for Free | Login to manage your Business Page



SUBSCRIBE OUR NEWSLETTER

 
* indicates required
Email Address *
First Name
Last Name
Birthday
/ ( mm / dd )

View previous campaigns.

Powered by MailChimp







© 2021 educratsweb.com. | Designed & Developed by educratsweb.com Email us at
educratsweb@gmail.com




To Top



×
AddThis Sharing
PinterestFacebookEmailCopy Link
AddThis Sharing
 * Facebook
 * Twitter
 * Print
 * Email
 * Pinterest


Show
AddThis What's Next
Recommended for you
IF 'WOMAN ' IS CODED AS '12345' AND 'SERAVT' IS CODED AS 6789450 THEN 'VOTERS '
WILL B...
educratsweb.com

AddThis
Hide