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LOKTANTRI DHAM MADHUR MADHUR MERE DEEPAK JAL * LokTantri Dham * LokTantri Jatra * Photo Gallery * About Us * Contact Us PrevNext LOKTANTRI DHAM आदमी तथा आदमी के बीच समता और औरत व मर्द के रिश्तों में बराबरी का व्यवहार लोकतंत्री धाम की नींव में हैं । लोकतंत्री धाम का निधान दिनांक ०७.०५.२०१३ को सम्पन्न हो चुका है । यह कार्य लोकतंत्री धाम के धामिक मण्डल ने किया है । जिनके बीच यह निधान सम्पन्न हुआ, वे धामिक मण्डल के परिवारी जन तथा उनके सुख-दुःख क संगी साथी लोग ही थे । यह कार्य किसी प्रचार की ओर उन्मुख नहीं रहा है, लेकिन धामिकों ने अपने आत्मीयजन को जताया जरुर की यह कार्य अब हमारी अच्छाई - बुराई को आगे के दौर में उसी अपनी पुरानी परम्परा के आईने में न आंकियेगा ।यह करते समय धामिक मण्डल ने अपने खातिर यह भी अंगीकार किया है : ‘ स्वाधीन भारत का धर्मपथ और उसके रुपन ’ अथवा ‘ भारत का लोकतंत्री धर्मपथ एवं संस्कार ’ इस धर्मपथ की प्रस्थापना में प्रमुखता वाले जो बिंदु हैं, उन्हें निधान वाले अवसर पर ही उपस्थित जन के बीच धामिक मण्डल ने इस प्रकार ज्ञापित किया है : read more लोकतंत्री धाम की बनावट है : क. लोकतांत्रिक-स्वधर्मे निधनं श्रेय ख. अप्पानी रामकहानी माँडे दर दर ठांव ग. सामाजिक न्याय के साथ विकास घ. स्वाधीनभारत का मुक्तिमार्ग ङ. लोकतंत्री जात्रा में ‘साथी समाज’ और ‘सहज लोकतंत्र’ च. लोकतंत्री धाम के रुपन धामिया रुपन वही है जो हमें और उन्नत तथा उत्कृष्ट बना दे; यथा – १. गोदभराई : स्त्री के गर्भ में भ्रूण सृजन की स्थिति में २. भुइंथापन : नवजात संतान के स्थान हेतु ३. नामकरण/ निकासन : गांव/मुहल्ला के बीच संतान की पहचान हेतु ४. शाब्दी/सबदी : शब्द बोलने व वाक्य रचने /बात समझने की स्थिती में ५. विवाह : बालिग होने पर ६. गुरुमत गाती : जीविका कमाते हुए चालीस साल पर कर जाने पर ७. संतति पूरमपूर : संततियों हेतुकरणीय के पूरा होने की समझ बनने पर ८. महाव्रत : गुरुमत गाती के बाद सार्वजनिक कार्य के नेतृत्व काल में ९: शवदाह / शवसमाधि : मृत्यु के बाद १०. सुमरना/ अनुस्मरण : मृत्यु के पखवारा भीतर/ चाह होने पर वार्शानुवर्श read more SANSTHAPAK. लोकतंत्री धाम के थापक धामिक प्रोफेसर जनार्दन धामिया लोकतंत्री धाम के थापक धामिक प्रोफेसर जनार्दन धामिया ने विस्तारपूर्वक लोकतंत्री धाम के निधान के अवसर पर बताया है कि स्वाधीन भारत ने अतीत के शास्त्रों के विधान को जीवन के लिए अपरिहार्य वाली स्थिति से बाहर का रास्ता दिखा दिया है | अब यह तो हमारे ऊपर है कि पुराने को हम मानते हैं या अपने लिए कुछ नया रचते हैं | और ऐसे में, धामिक मण्डल ने अब नया रचने का पथ चुना है | read more Copyright 2015. all rights reserved | Design by | VASU |